किसी खास उत्पाद या ब्रांड में मार्केटिंग के अनुप्रयोगों को ब्रांड मैनेजमेंट कहते है। इसका प्रयोग किसी उत्पाद की उपभोक्ता में प्रचलित वैल्यू को बढ़ाने के लिए किया जाता है ।
Normally बाजारों में मार्केट्स द्वारा किसी भी ब्रांड को एक ऐसे आशवासन के रूप में माना जाता है, जिसकी गुणवत्ता के स्तर की ग्रहाकों को अपेक्षा होती है। और इसी के आधार पर ब्रांड की वैल्यू तैयार होती है। जो भविष्य में बहुत ही अहम भूमिका निभाती है।
इसके द्वारा प्रतिस्पर्धी उत्पादों से अपने उत्पाद की तुलना का विक्रय बढ़ाया जाता है। जैसे की मेरी शर्ट इसकी शर्ट से सफेद क्यों है ? ब्रांड वैल्यू के आधार पर ही निर्माता अपने उत्पाद की अधिक कीमत लेता है।
ब्रांड की वैल्यू का निर्धारण निर्माता के लिए निर्मित लाभ की राशि के आधार पर किया जाता है। इसे विक्रय में वृद्धि तथा कीमत में वृद्धि कर हासिल किया जा सकता है। इस सभी पॉइंट्स की सहायता से किसी ब्रांड की लाभप्रदता बढ़ाई जा सकती है। ब्रांड मैनजमेंट की रणनीतियुक्त भूमिका माकेटिंग से अधिक व्यापक होती है।
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