अच्छे व्यवहार का रहस्य। (The secret of good behavior.)


दोस्तों व्यवहार एक ऐसी चीज है। कि आप बना भी सकता और बिगाड़ भी सकता है।  अगर आप का व्यवहार अच्छा है तो अपने आप लोग आप की  तरफ  आऐगे। आप का संबंध अपने आप अच्छे लोगो से होगा। आप एक अच्छे इंसान बन सकते है केवल अपने व्यवहार से   , लेकिन आज कल देखने को उल्टा मिलता है।  मुझ सबसे ज्यादा हैरानी तब होती है। जब छोटे - छोटे बच्चों को गली देते या अपने से बड़ो को कुछ गलत कहते हुए देखता हूँ। बहुत से तो गाली देने में बड़े ही एक्सपर्ट होते है सामने वाले के बोलने से पहले वो इतनी गली दे देते है की सामने वाला उनको देख कर वैसे ही चुप हो जाता है। उनके बारे में सोच कर मेरे दिमाग में यही बात आती है की ये इतने छोटे - छोटे बच्चे ये सब कहा से सिख जाते है। क्या स्कुल में टीचर यही सिखाते है या फिर इन के माता- पिता उनको ये सब सिखा देते है। नहीं शायद ऐसा नहीं है।
वो सब कुछ सीखते है अपने माहौल से जब वो सब दूसरों को करते देखते है वो भी सिख जाते है। इस बात में शायद उनका कोई दोष नहीं है।
अगर आप अपने आप को अच्छा मानते है तो आप किसी बच्चे को ऐसा ना तो सिखाए और हो सके तो आप बच्चों को एक अच्छा माहौल दे जो उनके लिए अच्छा हो।  

अब मैं आता हूँ अच्छे व्यवहार के रहस्य पर 

आप ने ऐसे बहुत से लोगों को देखा होगा जिनका व्यवहार आप को बहुत पसंद आया हो वैसे तो हर किसी की अपनी - अपनी अलग कहानी होती है।
लेकिन आज मैं आप को एक साधु के व्यवहार के बारे में बताना चाहता हूँ जिनका व्यवहार बहुत ही अच्छा था।
एक दिन साधु अपने आश्रम में बैठे थे एक शिष्य ने पूछा की गुरु जी आप इस शांत और अच्छे स्भाव  का क्या रहस्य है। और शिष्य थोड़ा क्रोधी स्भाव का था।
गुरु जी कहते है की मुझे शायद मेरा तो ना पता हो लेकिन तुम्हारे बारे में जरूर बता सकता हूँ। शिष्य के पूछना चाहता है लेकिन गुरु जी कहते है की तुम मुझसे आज शाम को मिलना।
शाम को शिष्य आ जाता है । तो गुरु जी उसे कहते है की तुम ठीक एक महीने बार मर जाओगे। शिष्य उदास हो जाता है और गुरु जी के चरणों को हाथ लगा कर और आशीर्वाद ले कर वह चला जाता है।
उस दिन के बाद सभी से बड़े विनम्र सभव से बोलता और गलत तो किसी के बारे कभी सोचता भी नहीं था।  क्योकि अपने आखिरी दिनों में अपने अच्छाई पाना चाहता था। और समय निकलता गया एक महीना खत्म होने को था। तो शिष्य गुरु से मिलने जाता है। और गुरु जी  पूछ लेता है की अब कैसा महसूस हो रहा है।
तो शिष्य बताता है की इन आखिरी दिनों में अपने लिए अच्छाई पाना चाहता हूँ और मुझ से जितना होता है मैं आप की तरह बोलने की कोशिश करता हूँ। ताकि सब को  अच्छा लगे।
तभी गुरु जी कहते है की तुम कुछ दिन पहले मेरे व्यवहार का रहस्य पूछा था। मेरा यही रहस्य है की में हमेशा अपनी मोत को याद रखता हूँ। और कहता है।  की मैंने तुम से झूठ बोल था की तुम एक महीने बाद मर जाओगे। मैं तो बस तुझे अच्छा बनना चाहता था और शायद तुम सब सब कुछ जान चुके हो।
तभी शिष्य खुश होता है।  और गुरु जी चरणों को हाथ लगा कर कहता है की मैं आज के बाद किसी को कुछ भी गलत नहीं कहुगा।
           
   

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