संघीय व्यवस्था में दो प्रकार की सरकारे होती है ---
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकार
- संघवाद में विधायिका दो स्तरों की होती है . इसका अर्थ है की एक सदन अलग - अलग राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है तथा दूसरा सदन जनता का प्रतिनिधित्व करता है .
- संघवाद में दो प्रकार की सरकार होती है . लेकिन दोनों स्तर एक ही जनता पर राज करते है . और सरकार के हर अलग - अलग स्तर की अपनी - अपनी शक्तिया होती है .
- प्रत्येक स्तर की शक्तियाँ सविधान में साफ - साफ लिखी होती है . और कोई भी अपनी सीमा को पर नही कर सकता .
- संविधान को केवल एक ही स्तर परिवर्तित नही कर सकता है . संविधान में कुछ भी परिवर्तन करने के लिए दोनों स्तरों की इच्छा और 2/3 बहुमत की आवश्यकता होती है .
- संघवाद में न्यायपालिका को संविधान का रखवाला कहा जाता है . अगर दोनों स्तरों के बीच कोई मतभेद आ जाता है तो उच्चतम न्यायालय मध्यस्थ बनकर उन मतभेदों को दूर करता है .
- सविधान में ये साफ - साफ लिखा ही की कोई भी स्तर अपने क्षेत्र के लिए किसी प्रकार का वित्त प्रबंध करेगा .
- संघवाद न केवल देश की एकता को बढ़ता तथा बचाता बल्कि यह क्षेत्रीय अलगपन को भी व्यवस्थित करता है .
देश में सत्ता की साझेदारी की क्या आवश्यकता है ......
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