बच्चे में टेस्ट या स्वाद ग्रन्थिया माँ के गर्भ में ही विकसित होने लग जाती है . और यही करण है की 4-5 महीने का बच्चा नई - नई चीजो का स्वाद जानने के लिए हर चीज को अपने मुह में डालने का प्रयास करता है .
गर्भावस्था के नौवे महीने में बच्चे के मुह और जीभ का निर्माण हो जाता है . और गर्भावस्था के दौरान शिशु ऐम्नोटिक नामक तरल पदार्थ से घिरा होता है और वह इसी तरल पदार्थ के द्वारा साँस लेता और उसे
निगलता भी रहता है . इसकी सहयता से बच्चे के फेफड़े और पाचन तन्त्र बनता है . माँ जितने भी अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ लेती है या कोई पेय पीती है तो वो सही रक्त के से होती हुई इस ऐम्नोटिक तरल में जाती है . और फिर बच्चे तक पहुचती है जिस कारण बच्चे को अलग - अलग स्वाद का ज्ञान गर्भ में ही हो जाता है .
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