किसी भी देश में जहा पर बहुत सी जातियाँ,भाषयी तथा अनेको धार्मिक समूह के लोग रहते हो वहां पर सत्ता का बटवारा या साझेदारी जरूरी हो जाती है . और यह न केवल देश के सभी जातीय, धार्मिक,तथा भाषयी समूहों को प्रतिनिधित्व देता है बल्कि यह देश में राजनितिक स्थिरता को भी कायम रखता है
. भारत जैसे देश में तो सत्ता का बटवारा और भी आवश्यक हो जाता है .समाज के प्रयेक समूह की अपनी इच्छाए और भावनाए होती है . और सभी ये भी चाहते है की हमारी इच्छाए पूरी हो जाए . और जिनकी इच्छाएं पूरी नही होती उनके दिमाग में प्रतिकुल भावनाए भी आ सकती है . और प्रतिकूल भावनाओ के आपको बहुत से उदाहरण भी मिल जाएगे जैसे की नक्सलवाद, पंजाब तथा जम्मू - कश्मीर में आंतकवाद के रूप में आप देख सकते है. इसलिए अगर सत्ता में सभी को समान रूप से साझेदारी दी जाए तो उनमे प्रतिकूल भावनाए आने की सभावना कम हो जाती है . और वो देश की प्रगति में अपना पूर्ण रूप से योगदान दे सकेगे . सत्ता में बटवारे की वजह से लोगो में विश्वाश और अपनेपन का अनुभव होता है . तथा अलग - अलग समूहों में तनाव कम करता है . जिससे देश की राजनितिक व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलती रहती है और देश के विकास में सभी अपना - अपना योगदान देते है .
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