आलोचना से कोई भी व्यक्ति नहीं बच सकता | व्यक्ति जिनता बड़ा होता जाता है आलोचना भी उतनी ही बड़ी होती जाती है | इसलिए आलोचना से डर कर अपना धैर्य नही खोना चाहिए | हर व्यक्ति को कभी ना कभी
आलोचन का सामना करना पड़ता है | आलोचना आपके सम्मान पर सीधा हमला करती है | इस से व्यक्ति को क्रोध आना सभाविक है | क्योकि इससे मनुष्य के स्वाभिमान को ठेस पहुचती है | लेकिन समझदार लोग ऐसे समय पर सयंम से काम लेते है | उनके दिमाग में ये होता है ये बात कहने का मोका इस व्यक्ति को कहा से मिला है व क्यों मिला है | और आने वाले समय में ऐसा मोका या ऐसा काम न करने की सोचते है |
लेकिन अगर कहानी पूरी तरह से मन-गडत है तो समय आने पर समझदार लोग इस बात का जवाब मागते है | और जवाब ना मिलने पर उस मनुष्य का मुह भविष्य के लिए बंद हो जाएगा | कभी - कभी आलोचना को स्वीकार कर लेना भी अच्छा होता है |
इसलिए अगर की गई आलोचना सत्य है तो वो समय आपके लिए भविष्य में सुधार के लिए एक बहुत ही अच्छा समय होता है और आलोचना से आपके मित्रो और सबंधियो के मन की आपके प्रति स्थिति का पता चलता है | लेकिन अगर की गई आलोचना सत्य नही है तो आप उस पर बिलकुल भी ध्यान ना दे | क्योकि कई बार लोग इर्ष्या में भी आलोचना कर देते है | जो केवल आपको भडकाने के लिए होती है | ऐसी बातो पर आप बिलकुल भी ध्यान ना दे |
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