यह एक बड़ा ही उलझन भरा प्रश्न है। और जिसका आज तक तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। लेकिन कई विज्ञानिको ने अपनी - अपनी खोज के अनुसार अलग - अलग मत दिए है। आज मैं एक विज्ञानिक के द्वारा दिए सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी के ऊपर जीवन की उत्पत्ति के बारे में बताना चाहता हूँ। जिनका नाम था चार्ल्स डार्विन (1809 - 1882 ) उन्होंने अनेको समुद्री यात्रा की उनका उदेश्य पृथ्वी के ऊपर जैव विविधता का ज्ञान प्राप्त करना था
उनके अनुसार पृथ्वी पर सरल जीवो से जटिल स्वरूप जीवो का विकास हुआ है। एक ब्रिटिश विज्ञानिक जे. बी. एस. हाल्डेन ने 1929 में यह सुझाव दिया था कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से हुई जो पृथ्वी की की उतपति के समय बने थे। उनका अनुमान था की उस समय पृथ्वी का वातावरण आज के वातावरण से बिलकुल भिन्न था। इस वातावरण से कुछ जटिल कार्बनिक पदार्थो का संश्लेषण हुआ। जो जीवन के लिए अनिवार्य था। यह कार्बनिक अनु किस प्रकार उतपन्न हुए। इसकी परिकल्पना करते हुए स्टेनले एल. मिलर और हेराल्ड सी. ने एक ऐसे कृत्रिम वातावरण तैयार किया जो लगभग प्राथमिक वातावरण जैसा था इसमें अमोनिया , मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे परन्तु ऑक्सीजन के नहीं थे और पात्र में जल भी था इसको 100 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया गया गैसों के मिश्रण में चिंगारिया उतपन की गई एक सप्ताह बाद 15% कार्बन सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए। इसमें अमीनो अम्ल भी सशंलेषित जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते है।
तो क्या आज भी कृत्रिम रूप से पृथ्वी पर जीवन बनना संभव है।
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