हिटलर का उदय




हिटलर के सत्ता में पहुंचने का मार्ग राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में गहराते संकट ने साफ कर दिया . हिटलर का जन्म 1889 में हुआ था . उसकी युवावस्था बहुत ही गरीबी में गुजारी थी . उसके आजीविका का कोई साधन नही था .हिटलर ने इसलिए प्रथम विश्वयुद्ध में सेना में भर्ती के लिए नाम लिखवा दिया . भर्ती के बाद उसने अग्रिंम मोर्चे पर संदेशवाहक का काम किया
,जर्मन सेना कि पराजय ने तो  उसे हिला दिया लेकिन वर्साय की संधि ने तो उसे आग –बबूला ही कर दिया .1919 में उसने  जर्मन वर्कर्स पार्टी नामक एक छोटे से समूह की सदस्यता ले ली .धीरे –धीरे हिटलर ने इस संगठन पर अपना निंयत्रण कायम कर लिया उसे नैशनल सोशलिस्ट पार्टी का नाम दिया .इसी पार्टी को बाद में नात्सी पार्टी के नाम से जाना गया .हिटलर ने 1923 में ही बर्लिन पर चढ़ाई करने ,बवेरिया पर कब्जा करने और सता हथियार की योजना बना ली थी.                               
       
वह इन दुस्साहसिक कार्यी को करने में असफल रहा .उसे गिरफ्तार करके उस पर देशद्रोह का मुकदमा  चलाया गया .लेकिन कुछ समय बाद उसे छोड़ दिया गया .नात्सी राजनीतिक खेमा 1930 के दशक के शुरूआती सालो तक जनता को बड़े पैमाने पर अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पाया . लेकिन महामंदी के दौरान नात्सीवाद ने एक जन आदोंलन का रूप ग्रहण कर लिया .1929  के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे ,काम धंधे बंद होते जा रहे थे ,मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्वर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर सता रहा था .1929 में नात्सी पार्टी को जर्मन संसद –रइंस्टांग  के लिए हुए चुनावों में महज़ 2.6 फीसदी वोट मिले थे .1932 तक आते – आते यह देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी और उसे 37 फीसदी वोट मिले .                                           हिटलर बहुत अच्छा भाषण देता था .जोश के साथ उसके द्वार बोले गए शब्द लोगो को बहुत प्रभावित करते थे .वह अपने भाषण में वर्साय संधि में हुए अन्याय का प्रतिरोध ,जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापिस दिलाने तथा एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना का आश्वासन देता था .                                                                         हिटलर ने राजनीतिक की एक नई पद्धति की रची थी .वह लोगो को गोलबंद करने के लिए आंडबर और प्रदशर्न की अहमियत समझता था .हिटलर के प्रति भारी समथर्न दर्शाने और लोगो में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नात्सियो ने बड़ी – बड़ी रेलियो और जनसभाए आयोजित की .स्वस्तिक छपे लाल झंडे ,नात्सी सौल्युट और भाषण के बाद अनदज में तालियों की गडगडाह्ट –ये सारी चीजें शक्ति प्रदशर्न का हिस्सा थी . हिटलरएक समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक एव राजनीती संकट से गुजर रहा था .
 


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