याद है ....
वो बचपन की अमीरी,
न जाने अब कहाँ खो गई ...
वो दिन ही कुछ और थे,
जब बारिश के पानी में
हमारे भी जहाज चला करते थे .....
बचपन जिन्दगी का सबसे सुहाना और यादगार सफर होता है बचपन की मौज मस्ती को इन्सान मरते समय तक याद रखता है माँ की ममता, पिता की स्नेह, दोस्तों का साथ, स्कुल की मौज मस्ती शायद इन्ही यादो में बचपन कब बीत जाता है पता ही नही चलता | लेकिन बचपन की यादे हर किसी के लिए सुहानी नही होती शायद आपको इस बात का नही पता आपको लगता है की जैसा आपका बचपन गुजरा है वैसा ही हर किसी का गुजरा होगा लेकिन ऐसा नही है | बहुत से लोगो के लिए बचपन अभिशाप होता है अगर आप जानना चाहते है की ये कई लोगो के लिए अभिशाप कैसे होता है तो आप आपके घर के आस पास किसी ढाबे पर झूठे बर्तन साफ कर रहे बच्चे को देखे या फिर स्टेशन पर कचरा इकठ्ठा कर रहे को देखे आपको उनके बचपन का पता चल जाएगा |
दुनिया में करोड़ो लडके लडकियाँ समाज की इस बुराई से ग्रस्त है | जिनके प्रति समाज को जागृत करने हेतु दुनियाभर में अनेको प्रकार के कार्यक्रम किए जाते है | ताकि जागरूकता बढ़े और बच्चे इसका शिकार ना हो |
बाल श्रम अधिनियम 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चो को कारखानों और होटलों और खतरनाक कामो में लगाने से रोकने और कुछ रोजगारो में उनको काम की स्थिति को विनियमित करने के लिए अधिनियमित किया गया था | श्रम बिभाग अगर सख्ती से कानून का पालन करे तो इसको रोका जा सकता है लेकिन इस काम का उनको कोई पैसा तो मिल नही रहा तो वो क्यों फ़ालतू में अपना टाइम खराब करे ऐसे कामो में लेकिन ऐसा नही होना चाहिए | आज International Child Labour Day पर उम्मीद है की सरकार इस विषय पर ध्यान देगी |
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