इस
बार जन्माष्टमी दो दिन पड़ रही है. ब्राह्मणों के घरों और मंदिरों में 2
सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, जबकि वैष्णव सम्प्रदाय को मानने
वाले लोग 3 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे
श्रीकृष्ण
जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है. यह हिन्दुओं के
प्रमुख त्योहारों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार
श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. देश के
सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं
जन्माष्टमी 2 सितंबर को त्रिपुष्कर योग बना हुआ है। इस योग में ..
जैसा कि शास्त्रों के माध्यम से स्पष्ट होता है कि भगवान श्री कृष्ण के
जन्म के समय चंद्र ,गुरु,मंगल ,अपनी अपनी उच्च राशि मे ,सूर्य ,शुक्र
स्वगृही विद्यमान थे साथ ही चतुर्थ भाव मे बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा
था । इस वर्ष भी जन्म के समय सूर्य सुख का एवं शुक्र लग्न का कारक होकर
अपनी स्वराशि में विद्यमान रहेंगे साथ ही सप्तम भाव का कारक ग्रह मंगल एवं
पराक्रम भाव का कारक ग्रह चंद्र अपनी-अपनी उच्च राशि मे विद्यमान रहेंगे।
सिंह राशि मे ही बुधादित्य योग भी बनेगा । साथ ही राहु के तीसरे भाव मे
विद्यमान रहने से उत्तम योगो का निर्माण होगा । इस प्रकार जयंती योग के साथ
मालव्य, यामिनिनाथ योग, रविकृत राजयोग, बुधादित्य योग अति फल दायक होंगे।
जन्माष्टमी व्रत :---
जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए. जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद व्रत खोल सकते हैं. कृष्ण की पूजा आधी रात को की जाती है.
जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए. जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद व्रत खोल सकते हैं. कृष्ण की पूजा आधी रात को की जाती है.
No comments:
Post a Comment