दोस्तों आज मै आपको एक स्टोरी के माध्यम से आपको एक बहुत ही अच्छी बात सिखाना चाहता हूँ अगर आप इसके बारे में सोचेगे और अपने आप पर इसका प्रयोग करेगे तो आपको अपने दिमाग को फ्रेश और एक्टिव रखने में सहयता मिलेगी |
यह कहानी शुरू होती है एक मनोवैज्ञानिक टीचर से , यह मनोवैज्ञानिक टीचर क्लास में एक ग्लास पानी के साथ आता है | सभी स्टूडेंट्स ने सोचा की अब ये पूछेगा की बाताओ ये ग्लास पानी से कितना भरा है | लेकिन उसने ऐसा बिलकुल भी नही पूछा उनका सवाल था की बताओ की इस ग्लास में कितना वजन है |
सभी स्टूडेंट्स ये सुन कर सोचने लगे की ये कैसा सवाल है , टीचर ने सभी स्टूडेंट्स से एक - एक करके उतर पूछा किसी ने कहा 250 Gram, कुछ ने 1/2 KG और इस तरह से सभी के अलग - अलग उतर थे | लेकिन जब स्टूडेंट्स ने टीचर से पूछा तो इसका उतर कुछ अलग ही था | टीचर ने बताया की इसका वजन इस बात निर्भर करता है की आप इस ग्लास को कितने समय तक अपने हाथ में उठाते है | अगर आपको ये ग्लास 5-7 मिनट तक उठाना है को आपके लिए ये ग्लास बहुत हल्का है लेकिन अगर अगर आपको ये ग्लास 5-7 घंटे उठाना पड़ जाए तो आपके लिए ये ग्लास कुछ टाइम के बाद भारी हो जाएगा |
और अगर आपको ये ग्लास कई दिनों तक लगातार उठान पड़ जाए हो इसका वजन आपके लिए बहुत ही ज्यादा हो जाएगा | ये सुनकर सभी स्टूडेंट्स टीचर की बात से सहमत थे | तब टीचर ने कहा की ये ग्लास बिलकुल टेंशन की तरह है अगर आप टेंशन का केवल 5-7 मिनट तक ही दिमाग में रखते हो तो वो आपके लिए कुछ भी नही है | लकिन अगर 5-7 घंटे या पूरा दिन टेंशन में रहोगे तो ये आप पर भरी पड़ने लग जाती है | अगर आप लगातार 5-7 दिन या उससे ज्यादा टेंशन में रहते है तो ये आपके लिए बहुत ही भरी पड़ जाती है और आपको नुकसान पहुचाने लग जाती है | और नुकसान के बारे तो मैं मानता हु की आप भली भांति जानते है |
इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है की आप इस टेंशन के ग्लास को ज्यादा समय तक ना पकड़े | हर प्रस्थिति को अपने अनुसार बदलना सीखे |
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